आज मेरे चारों ओर भडकीले गानों का शोर है.होली आ रही है न? My ears are already aching with all kinds of music(?). These days music is not supposed to relax or soothe ur nerves, rather it has become a means to pep up.Chill yaar!youngsters exclaim. There are loud punjabi songs,lurid bhojpuri songs and some find it very fashionable to sway on the music of cacophonous english songs.There is a certain crazyness attached with festive mood these days.
ज़रा आंख बन्द करके होली की पुरानी यादों का झरोखा खोलिये और खो जाइये, खालिस देशी घी में तली जा रही गुझियों की खुशबू में,पडोस की ताईजी के यहां से आ रही मठरियों की गंध में.आ रहा है ना मुहं में पानी.मां के हाथ की बनी पापडी का स्वाद आज तक ज़बान पर रहता है. होली के दो दिन पहले से ही हर घर से पकवान तलने की सौन्धी-सौन्धी खुशबू हवा में तैरने लगती थी. कहीं मोहनथाल के लिये बेसन भूना जाता था, कहीं कचौरियों का मसाला तैयार किया जा रहा होता था.वैसी खुशबू के लिये अब तो नासिका तरस गई है. होली के कितने ही दिनों पहले से घर घर से आती थी होरी की स्वर लहरियों की मधुर गून्ज. कहीं तबले -ढोलक की थाप, कहीं हारमोनियम पर बजती राग काफ़ी की धुन. मुझे अच्छी तरह से याद है,मेरे नानाजी के होठों पर सिर्फ़ और सिर्फ़ होरी की गुनगुनाहट होती थी. कितनी ही बार हमारे नानाजी या उनके किसी मित्र के यहां संगीत की महफ़िलें जमती थी.कोई रसिया गा रहा होता था, कोई चैती.
खेलने वाली होली के दिन किसी के मुंह पर काला हरा रंग नहीं दिखता था.हर तरफ़ लाल,गुलाबी, पीले रंग बिखरे होते थे.गीली होली भी शालीनता के साथ खेली जाती थी.हर उम्र का लिहाज़ कर के होली खेली जाती थी.उम्र में छोटे लोग अपने से बडे लोगों के चरणों में गुलाल अर्पित करके आशीर्वाद लेते थे.सब अपने अपने groups and troops बना कर होली का मज़ा लूटते थे.सब अपने अपने मस्त.जीजा-साली,देवर-भाभी की होली तब romantic और रंगीन होते हुए भी मर्यादित होती थी.
अब इस यादों के झरोखे में से बाहर निकलिये और वर्तमान के गलियारे में झांकिये.ये क्या? यह संगीत है या शोर?ऐसे ऐसे अश्लील गीतों का प्रचलन हो गया है कि जिनके कानों में पडने से ही चित्त अव्यवस्थित हो उठता है.कानफ़ोडू गाने,गन्दे लतीफ़ों से बचना लगभग मुश्किल हो जाता है इन दिनों.ना किसी की उम्र का लिहाज़ किया जाता है, ना रिश्ते का.मनभाते रंगों की जगह अब कीचड,ग्रीस और पक्के रंग ने ले ली है.गुलाल मिलता है वो भी मिलावटी,जिससे त्वचा पर गलत असर पडता है.मेरे ससुराल एटा की होली से तो मेरी आज भी रूह कांपती है, वहां के बाशिन्दे, कीचड तो क्या, गोबर से भी परहेज नहीं करते.होली के अवसर पर पीना-पिलाना वहां घर घर में प्रचलित है.मैं तो वहां जाकर ससुरजी की शरण लेकर बच जाती हूं.उनके सामने किसकी मज़ाल है जो मुझे रंग लगाएगा.
अब तो सद्ग्रहणियों ने भी रसोई से पल्ला झाड लिया है.भई, बाज़ार में सब कुछ तो मिलता है, जो चाहो खरीद लाओ.कौन सिर फ़ोडे, कढाई-कलछी से!मेरी खुद की सहेलियां मेरी उम्र की होते हुए भी, मेरे रसोई प्रेम का मज़ाक उडाती हैं.भई,अब इस इला का क्या कहना, ये तो शायद पैदा ही रसोई में हुई थी.Cooking is considered as a taboo these days.भला बाज़ार की गुझिया-मठरी-पापडी में वो स्वाद कहां से आयेगा? What is the harm in cooking for friends and family?
शनै:शनै, होली से मन भरता जा रहा है.इस साल यूं भी उदासी क आलम है, क्यूंकि पतिदेव घर से बाहर,दिल्ली से दूर गोआ में हैं,बिटिया जो कि बोर्ड दे रही है,मीसल्स की चपेट में है. क्या तो रंग और क्या तो पकवान? इसीलिये अपनेराम बैठ गये कागज़-कलम(माउस-कीपैड) ले कर.बहर-हाल सब को होली की बधाई.जैसा भी है, है तो हमारा प्यारा त्यौहार.
Thursday, March 20, 2008
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11 comments:
holi ki bahut mubarak baat ila ji,kya bachpan ke din yaad dila diye aapne,hmm still my mom makes gujhiya at home,but in lill quantity now,as we r grown,sweets khana kum ho gaya.baazar ki chizon mein pyar ka swad aur rang aur mithas nahi hote,aur ek baat ke liye mubarak baat,hindi mein post likhne ke liye,bahut achhi lag rahi hai aapki post.holi ka rang ho jaise.gudnight.
होली मुबारक हो । बिटिया के बीमार होने का सुनकर दुख हुआ । चलिये, जैसे भी हो थोड़ा सा त्यौहार मना लीजिये । मैं तो पति के रिटायर होकर शहर रहने से पहले यहाँ के शान्त अपनत्व भरे वातावरण का भरपूर आनन्द लेना चाहती हूँ ।
घुघूती बासूती
Aapne sahi likha hai....ajkal sab kuch change ho raha hai....holi khelne ka tarika....riston ke mayne...sab kuch! koi nahi bitiya jald hi theek ho jayegi isliye use bhi aap achha sa khud ke hathon banakar kuch khilaiye...I know now days these women think that if they cook they will not to be called modern lady....i mean so called modern, jinki nazar hamesha patiyon ke pocket per rahti hai aur unhe sirf udaane se matlab rahta hai....But in reality, cooking is not a cup of tea for them, not only cooking balki aise women riston ki gahrai se bhi koi matlab nahi rakhti hai. Ham bhi modern hein, hamari thinking bhi modern hai aur hame riston ki gahrai ka bhi ehsaas hai! Anyway, holi apako aur aapke family ko bahut bahut mubarak ho!
rgds.
होली की बधाइय़ाँ । बिटिया आपकी जल्दी ठीक हो और उसकी परीक्षा अच्छेसे संपन्न हो यही दुआ करती हूँ । वैसे शगुन के लिये थोडी सी गुजियाँ तो आपने बनाई ही होंगी ।
होली की बधाइय़ाँ । बिटिया आपकी जल्दी ठीक हो और उसकी परीक्षा अच्छेसे संपन्न हो यही दुआ करती हूँ । वैसे शगुन के लिये थोडी सी गुजियाँ तो आपने बनाई ही होंगी ।
bahut khoob
Ila,
It was a treat to be able to go through your blogs on blogspot.
What narration of the morning your daughter had terrible time travelling to her board centre.
Dear Anonymous,
Thanks for visiting my blog.I will try to put in all hues of life in my writings to be shared with readers.Thanks for the encouraging words, as a beginner, I need them.
अरे वाह...हिन्दी में टाइपिंग जम ही गई आखिरकार।बधाई।
इसके बाद होली की बधाई :)
होली तो अपन खेलते नही (पसंद नही है)...पर रसिया और धमार...ये जम के होता है :)
होली मुबारक हो. बिटिया के शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना.
Thank u Udan Tashtari ji, bitiya ka exam thik thak ho gaya. Thanks for ur encouraging words. And wish u a belated holi.
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