Thursday, June 5, 2008
मातम-पेट्रोल और रसोई गैस के बढते हुए दाम का
पेट्रोल और रसोई गैस के बढते हुए दाम कल आम जनता की ज़बान पर थे.संयोग से कल किसी के यहां डिनर पर जाना हुआ.१०-१२ लोगों का जमावडा था वहां.सब के सब व्यापारी,उच्च वर्ग से ताल्लुक रखने वाले.हाथ में पेय लिये,महंगे स्नैक्स खाते हुए सब ही पेट्रोल के बढे हुए दाम का मातम मना रहे थे. एक से बढ कर एक कमेण्ट आ रहा था इस विषय पर.एक महिला बोली अब तो किट्टी में कार पूल बना कर जाना पडेगा किन्तु इससे स्टेटस की किरकिरी हो जाएगी.एक का कहना था, कि हम दूसरी गाडी भी लक्जरी कार ही लेना चाह्ते थे पर अब छोटी गाडी ही खरीदनी पडेगी बच्चों के लिये.मेरे बच्चों का तो मूड खराब हो गया है.मैं चुप थी,सबकी सुन रही थी.जैसे जैसे शाम का सरूर बढ रहा था,मातम का लेवल भी बढ रहा था.कोई सरकार को गाली दे रहा था, कोई जोर्ज बुश को.किसी ने इरान -इराक की मलामत की तो किसी ने राजनीति की.मुझ से भी इस विषय पर राय मांगी गई तो मैने आदत के मुताबिक मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लोगों की परेशानी व्यक्त कर दी.जिस गरीब के यहां ५-७ सदस्यों का सुबह शाम खाना बने और मासिक आय ५ हज़ार भी ना हो तो वो बढे हुए दामों पर गैस कैसे खरीद पाएगा? जो काम वालियां और मज़दूर ५-६ किलोमीटर से औटो या बस पकड कर काम पर आते हैं, वो बढे हुए किराये का सामना कैसे कर पाएंगे? उनकी कमाई तो बंधी हुई नही है.क्या हम अपने यहां काम करने वाले लोगों की तनख्वाह बढाने को राज़ी हैं? मध्यम वर्ग तो सदा ही पिटता चला आया है, वो और कितना पिटेगा? परिवार की छोटी छोटी ख्वाहिशें कैसे पूरी करेगा? मानती हूं सरकार के पास कोई ठोस विकल्प नहीं है.लेकिन इन्फ़्लेशन कब तक अजगर के मुंह की तरह बढेगा? खैर मेरे इस लेख का असली मुद्दा (महत्वपूर्ण होते हुए भी) यह नही है. मुझे हंसी आ रही थी मेरे तथा कथित मित्रों पर जो मेरी बार सुन कर बोले, अरे,गरीबों का कुछ नहीं बिगडता, वो तो पहले भी रोते थे, अब भी रो रहे हैं और हमेशा ही रोएंगे.उनकी परेशानी तो उनकी अपनी बनाई हुई है,किसने कहा था ढेर सारे बच्चे पैदा करने को, अब बडा परिवार है तो मुसीबत भी बडी होगी.रही मध्यम वर्ग की बात,वो तो कैसे न कैसे इस समस्या से उबर ही जाएगा.असल परेशानी में तो हम जैसे लोग हैं,लाइफ़ स्टाइल मेन्टेन करना बहुत भारी काम है.मु्झे इन बातों को सुन कर हंसी आ रही थी.ये वो लोग बोल रहे हैं जिनको अपनी आय का ओर छोर नहीं पता.मांएं अपने नन्हे बच्चों के लिये १५ रु प्रति नग के ५ -८ डिस्पो्जेबल डायपर रोज़ाना लगा देती हैं जिससे उनकी नीन्द और आराम में खलल ना आये, वो आराम से शौपिन्ग कर पायें, पार्टी में बगैर किसी व्यवधान के घूम पायें.जब किसी के बच्चे को आइसक्रीम का खास फ़्लेवर पसंद ना आये तो उसे फ़ेंक कर दूसरी आइसक्रीम खरीदने में देर नहीं लगती.एक ड्रेस मन से उतर जाय तो उसकी जगह नयी पोशाकें खरीदने में पलक नहीं झपकती.एक मौल से दूसरे मौल जाने में कितना पेट्रोल खर्च करती होंगी, इसका उन्हें कोई अन्दाज़ा ही नही.साहब लोग महंगी शराब की एक बोतल खरीद कर अपनी एक शाम का मनोरंजन कर लेते हैं, इतने में एक गरीब महीने भर का राशन खरीद सकता है.मैं अच्छे रहन सहन के खिलाफ़ नही हूं.मुझे शिकायत है लोगों की संवेदनहीनता से,उनकी छोटी सोच से.कब तक हम सिर्फ़ अपने ही बारे में सोच कर जी्ते रहेंगे.कब हम समाज के कमज़ोर वर्ग के बारे में सोचना शुरु करंगे? कब हम अपने स्तर पर कोशिश शुरु करेंगे,देश में बदलाव लाने की?अब समय आ गया है कि हम सब होश में आयें,जागें और देश के घटते मूल्यों को सम्भालने में अपना योग दान दें.अपने बच्चों को सिखायें कि अपनी जीवन शैली में छोटे छोटे बदलाव लाके हम देश में बहुत बडा बदलाव ला सकते हैं.यदि हम आज नहीं जागे तो कल आने वाली पीढियां हम को कोसेंगी.ITS TIME WE WOKE UP !!!
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45 comments:
hum aapkey comments sey sehmet hain illa jee.its time we shud understand dat dis increase of prices has been done by d govt very reluctantly as dey had no other choice.see d prices of crude oil.kitnee subsidy degee sarkaar??aaj bhee rasoi ke cylinder pe 300 rs ki subsidy sarkar dey rahee hai.matlab yeh ki apna baaki kharcha ghata saktein hain hum.baaki bat yeh hai ki madhyam warg to yeh hee kahega na ki sarkaar ka hee dosh hai........hum sab ko roney ki aadat hee padee hui hai.
aapki har baat se sehmat hun,aapki yahi ada hame achhi lagti hai,aap dusron ke barein mein bhi bahut sochti hai,sirf sochti hi nahi amal bhi karti hai,us choti ladki ki kahani yaad hai mujhe jisko aapne kapade press karne ke kaam dilwaye aur wo aage padh saki,nice,god bless u.
मुझे याद है जिस दिन पेट्रोल के दाम बढे .उस दिन मेरे एक दोस्त का फोन आया बोला कोई बात नही हम भी १० रुपया फीस मे बढ़ा लेंगे...दरअसल मार बेचारा गरीब ही खाता है.....चाहे वो तेल के दाम बढे या फ़िर बीज के....
sach hai..mahangaayi kisi bhut pisaach ki tarah sabhiko maar rahi hai..lekin maar to garib hi khata hai na.
बहुत दिन बाद आपके चिट्ठे पर आई। आपकी बात से सहमत हूँ, परन्तु मनुष्य को सदा अपने छोटे छोटे दुख भी सबसे बड़े लगते हैं। मंहगाई जिस तरह से बढ़ रही है मुझे लगता है गरीबों को खाना भी खा पाना कठिन होने वाला है।
घुघूती बासूती
मे पहली बार आप के बांलग पर आया हु,तीन लेख पढे,तीनो से सहमत हु,इस लेख का मेने आंखॊ देखा हाल देखा हे, ओर उस दिन मे बहुत दुखी हुआ था,ओर उस पार्टी मे सभी खुश थे मेरे सिवा, ओर वो पार्टी थी मेरे लिये, उस के बाद मेने सभी पार्टियो मे जाना बन्द कर दिया,
there are many things that we need to refresh and reteach our kids fo a sustainable lifestyle. I guess it is time to start now as the nation and the world face a severe fuel crisis and rising prices
your blog holds good in current times too, the prices have sky rocketed and taken inflation thru the roof, if we dont look at sustainable product, and start valuing what we have we are headed towards doom
Excellent article on a current issue. The price has indeed risen dramatically, sending inflation through the roof. However, I recall purchasing gas cylinders in the past. We will never forget how this government cared for the lower and middle classes during the pandemic.
-Anjali
Very well written article. The topics you write on are current and relevant to current times.. keep up the great work 👍🏻
Well written article and thank you for talking about these current hot issues. Keep up the good work. Let's wish that inflation cools down soon.
Language barrier here..but looks like the post is about current events. We may not be able to control everything around us but making sure we control the things we can like the lifestyle we live, the food we eat, the spendings we do, the relationships we build, we'll be able to ride any economic tide that comes our way with positivity in mind and spirit.
That’s such a wonderful post. I agree inflation has gone up and this has become very bad for everyone.
That’s so true. We need to look into our economic conditions before taking decisions. It may not affect us but can affect lower- middle or lower class. Such an eye opening article.
Totally agreed with your comment. Hamesha middle class and lower class ko hi sufer karna padta hai. Either gas price hike ho ya petrol price. God knows when everyone will aware of this and be one voice.
Very nice article. And yes people turn insensitive toward others and always crib about things that they have in plenty. Liked the satire in the post.
Mai apse bilkul sehmat hu, ish mehengai se bahut life affects kiya hai , hamesha garib log k upar aur dukh ka saya mandra raha hai . Abhi to lagta hai ki cycle hi best hai.
Agree with you!! Mehngai ka asar sabse jyada gareeb varg pe hota h but discussion vo log karte hai jinko actually koi fark nahi padta .
Thank you for your comment.
Thank you for your comment.
Very true
Thank you for your comment.
Really appreciate your comment .
Thank you for visiting my blog and commenting
Thank you for visiting my blog.
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The price hike in everything, specially things of daily use, is making us suffer a lot. This holds true in current situation, the aftermath of pandemic where people are already struggling financially.
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